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Vishwas Aur Andhvishwas [Faith and Superstition]

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Vishwas Aur Andhvishwas [Faith and Superstition]

De : Dr. Narendra Dabholkar
Lu par : Toshi Sinha
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विश्वास क्या है? कब वह अंधविश्वास का रूप ले लेता है? हमारे संस्कार हमारे विचारों और विश्वासों पर क्या असर डालते हैं? समाज में प्रचलित धारणाएँ कैसे धीरे-धीरे सामूहिक श्रद्धा और विश्वास का रूप ले लेती हैं। टेलीविजन जैसे आधुनिक आविष्कार के सामने मोबाइल साथ में लेकर बैठा व्यक्ति भी चमत्कारों, भविष्यवा‌णियों और भूत-प्रेतों से संबंधित कहानियों पर क्यों ‌विश्वास करता रहता है? क्यों कोई समाज लौट-लौटकर धार्मिक जड़तावाद और प्रतिक्रियावादी-पश्चमुखी राजनीतिक और सामाजिक धारणाओं की तरफ जाता रहता है? क्या यह संसार किसी ईश्वर द्वारा की गई रचना है? या अपने कार्य-कारण के नियमों से चलनेवाला एक यंत्र है? ईश्वर के होने या न होने से हमारी सोच तथा जीवन-शैली पर क्या असर पड़ेगा? वह हमारे लिए क्या करता है और क्या नहीं करता? क्या वह खुद ही हमारी रचना है? मन क्या है, उसके रहस्य हमें कैसे प्रकाशित या दिग्भ्रमित करते हैं? फल-ज्योतिष और भूत-प्रेत हमारे मन के किस खाली और असहाय कोने में सहारा बनकर आते हैं? क्या अंधविश्वासों का विरोध नैतिकता का विरोध है? क्या धार्मिक जड़ताओं पर कुठाराघात करना सामाजिक व्यक्ति को नीति से स्खलित करता है? या इससे वह ज्यादा स्वनिर्भर, स्वायत्त, स्वतंत्र और सुखी होता है? स्त्रियों के जीवन में अंधविश्वासों और अंधश्रद्धा की क्या भूमिका होती है? वे ही क्यों अनेक अंधविश्वासों की कर्ता और विषय दोनों हो जाती हैं? इस पुस्तक की रचना इन तथा इन जैसे ही अनेक प्रश्नों को लेकर की गई है। नरेंद्र दाभोलकर के अंधविश्वास या अंधश्रद्धा आंदोलन की वैचारिक-सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक पृष्ठभूमि इस पुस्तक में स्पष्ट तौर पर आ गई है जिसकी रचना उन्होंने आंदोलन के दौरान उठाए जानेवाले प्रश्नों और आशंकाओं का जवाब देने के लिए की।.

Please note: This audiobook is in Hindi

©2021 Dr. Narendra Dabholkar (P)2021 Storyside IN
Sciences sociales Études religieuses
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